Title | : | 1000 Film Prashnottari (Hindi): Hindi |
Author | : | |
Rating | : | |
ISBN | : | 9351860396 |
ISBN-10 | : | 9789351860396 |
Language | : | English |
Format Type | : | Kindle Edition |
Number of Pages | : | 266 |
Publication | : | Published August 29, 2014 |
1000 फिल्म प्रश्नोत्तरी
प्राय: यह देखा जाता है कि विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में राजनीति के बाद फिल्मों से संबंधित पाठ्य-सामग्री, चित्रों आदि को ही सर्वाधिक महत्त्व दिया जाता है। व्यवहार में तो यह देखने को मिलता है कि सात वर्ष के बालक से लेकर सत्तर वर्ष के वृद्ध तक—सभी लोग फिल्मों के प्रति अधिक रुचि लेते हैं। इसके बावजूद उन्हें फिल्मों से संबंधित विभिन्न प्रकार की ठोस व तथ्यगत जानकारियाँ प्राय: कम ही रहती हैं। विपुल मात्रा में ऐसी जानकारियाँ देनेवाली कोई प्रामाणिक और शोधपरक पुस्तक जल्दी कहीं मिल नहीं पाती।
इसी अभाव को पूरा करने के लिए प्रस्तुत पुस्तक का प्रकाशन किया गया है। इसमें फिल्मों से जुड़ी विभिन्न ऐतिहासिक घटनाओं के अतिरिक्त लगभग सभी फिल्मी हस्तियों से संबंधित एक हजार तथ्यों को व्यवस्थित एवं आकर्षक ढंग से और इस प्रयास भरी जिम्मेदारी के साथ कि इसमें जो कुछ भी हो, प्रामाणिक हो—प्रस्तुत किया गया है।
यह पुस्तक विभिन्न आयु-वर्गों के ज्ञान-पिपासुओं, ज्ञानार्थियों और ज्ञानियों—सभी के लिए उपयोगी, रोचक व पठनीय ही नहीं बल्कि संग्रहणीय भी है।
प्राय: यह देखा जाता है कि विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में राजनीति के बाद फिल्मों से संबंधित पाठ्य-सामग्री, चित्रों आदि को ही सर्वाधिक महत्त्व दिया जाता है। व्यवहार में तो यह देखने को मिलता है कि सात वर्ष के बालक से लेकर सत्तर वर्ष के वृद्ध तक—सभी लोग फिल्मों के प्रति अधिक रुचि लेते हैं। इसके बावजूद उन्हें फिल्मों से संबंधित विभिन्न प्रकार की ठोस व तथ्यगत जानकारियाँ प्राय: कम ही रहती हैं। विपुल मात्रा में ऐसी जानकारियाँ देनेवाली कोई प्रामाणिक और शोधपरक पुस्तक जल्दी कहीं मिल नहीं पाती।
इसी अभाव को पूरा करने के लिए प्रस्तुत पुस्तक का प्रकाशन किया गया है। इसमें फिल्मों से जुड़ी विभिन्न ऐतिहासिक घटनाओं के अतिरिक्त लगभग सभी फिल्मी हस्तियों से संबंधित एक हजार तथ्यों को व्यवस्थित एवं आकर्षक ढंग से और इस प्रयास भरी जिम्मेदारी के साथ कि इसमें जो कुछ भी हो, प्रामाणिक हो—प्रस्तुत किया गया है।
यह पुस्तक विभिन्न आयु-वर्गों के ज्ञान-पिपासुओं, ज्ञानार्थियों और ज्ञानियों—सभी के लिए उपयोगी, रोचक व पठनीय ही नहीं बल्कि संग्रहणीय भी है।