Title | : | Agyeya Kathakar Aur Vicharak |
Author | : | |
Rating | : | |
ISBN | : | 935000898X |
ISBN-10 | : | 9789350008980 |
Language | : | Hindi |
Format Type | : | Hardcover |
Number of Pages | : | - |
Publication | : | Published January 1, 2012 |
”जिस जीवन को उत्पन्न करने में हमारे संसार की सारी शक्तियाँ, हमारे विकास, हमारे विज्ञान, हमारी सभ्यता द्वारा निर्मित सारी क्षमताएँ या औजार असमर्थ हैं, उसी जीवन को छीन लेने में, उसी का विनाश करने में, ऐसी भोली हृदय-हीनता फाँसी!“ -शेखरः एक जीवनी ” दुःख सबको माँजता है और चाहे स्वयं सब को मुक्ति देना वह न जाने, किन्तु जिनको माँजता है उन्हें यह सीख देता है कि सबको मुक्त रखें।“ -नदी के द्वीप ” जीवन के प्रति मेरा सम्मान दिन-दिन बढ़ा ही है। लेकिन जीवन के प्रति अनेक आयाम सम्पन्न उसके भरे-पूरेपन के प्रति, उसके सुखाए हुए ठट्ठर के प्रति नहीं। पुआल की जुगाली करते हुए हरे खेत को रौंदने की कल्पना से तृप्ति पा लेना मुझे नहीं भाया, न आया ही।“ -‘जयदोल’ की भूमिका ‘मैंने चुन लिया। मैंने स्वतन्त्रता को चुन लिया।’ वह धीरे-धीरे बोलीः ‘मैं बहुत खुश हूँ। मैंने कभी कुछ नहीं चुना। जबसे मुझे याद है कभी कुछ चुनने का मौका मुझे नहीं मिला। लेकिन अब मैंने चुन लिया। जो चाहा वही चुन लिया। मैं खुश हूँ।’ थोड़ा हाँफ कर वह फिर बोलीः ‘मैं चाहती थी कि मैं किसी अच्छे आदमी के पास मरूँ। क्योंकि मैं मरना नहीं चाहती थी-कभी नहीं चाहती थी!’ -अपने-अपने अजनबी