Title | : | क्याप |
Author | : | |
Rating | : | |
ISBN | : | 8170557992 |
ISBN-10 | : | 9788170557999 |
Language | : | Hindi |
Format Type | : | Paperback |
Number of Pages | : | 151 |
Publication | : | First published January 1, 2005 |
Awards | : | Sahitya Akademi Award Hindi (2005) |
क्याप Reviews
-
जातिवाद, साम्यवाद, समाजवाद - सामान्य तौर पर राजनेता, नौकरशाही पर शानदार तीखा व्यंग्य (satire)। वन्यजीवों, लकड़ी, जड़ी-बूटियों, खनिजों आदि जैसे प्राकृतिक संसाधनों के शोषण का एक तीव्र आरोप, जैसा कि कुख्यात पहाड़ी विल्सन
The Raja of Harsil: The Legend of Fedrick "Pahari Wilson" द्वारा शुरू किया गया था और वर्तमान व्यवस्था द्वारा भी जारी है - दोनों - कानूनी रूप से सरकारी एजेंसियों द्वारा और अवैध रूप से 'माफिया' द्वारा।
इसमें आरएसएस के आदर्शवादी श्री हेडगेवार की ओर संकेत है - यहां वह कम्युनिस्टों के पार्टी के मुख्यविचारक (party idealogue) हैं - 'डाक्साब'।
कथा उत्तराखंड के एक काल्पनिक क़स्बा व जनपद में स्तिथ है। यह विफल एवं अनबिलाषित प्रेम (unrequited love), प्रतिशोध और पागलपन की कहानी भी है।
अत्यंत रोचक व हास्यपूर्ण रचना। -
ये मनोहर श्याम जोशी की दूसरी किताब है जो मैंने पढ़ी, और इतनी अच्छी लगी कि उनकी कई और किताबें मंगवा ली हैं.
कहानी के शुरू होने के साथ ही लेखक कहानी का एक मुख्य पात्र बन जाता है और अंत तक बना रहता है. कहानी अगाथा क्रिस्टी की मर्डर मिस्ट्रीज़ की तरह शुरू होती है, लेकिन फिर एक ऐतिहासिक ड्रामा में बदल जाती है. ऐसा करते हुए लेखक आपको उत्तराँचल के उस भाग के इतिहास से भी अवगत कराता चलता है जहां से वो आता है, लेकिन वो ऐसा अपनी पहाड़ी गप्प के तरीके से करता है, तो उसका नीर-क्षीर करना पाठक की समझ के ऊपर निर्भर है. इतिहास और भूगोल के पन्नों से निकल कर फिर किताब एक कसप-टाइप की प्रेम-कथा का रूप लेती है, लेकिन वो विस्तृत नहीं है, और बीच ही में रुक जाती है, और फिर शुरू होता है एक नाटक, जो राजनीतिक भी है, और व्यक्तिगत भी, और जो कहानी के सारे सिरों को समेटता है, और उनको कस कर आपस में बाँध देता है. इस गाँठ को सुलझाना मुश्किल है, और पाठक भी शायद "व्हाट इज़ टू बी डन" पर सोचने के लिए मजबूर हो जाता है.
कहानी इतने सारे आयामों को छूने के बावजूद एक डेढ़ सौ पेज की किताब में आसानी से समा जाती है, और मेरे विचार से ऐसा लिखना मनोहर जोशी जैसे लेखक के बिना संभव नहीं होता। उनका ज्ञान इतिहास, भूगोल, राजनीति, भाषा पर तो है ही, लेकिन इन सब से ज्यादा जो जरूरी चीज़ है वो है मानव स्वभाव को समझना, और इसमें जोशी जी को कोई सानी नहीं है. बहुत से और उपन्यास होते हैं जिसमें कुछ चरित्र काफी उभर कर आते हैं, लेकिन इनकी किताबों में लगभग हर चरित्र की में लेयर्स हैं, और उनको बहुत बारीकी से गढ़ा गया है. इन सब से ऊपर जो कहानी कहने का तरीका है, वो आपको शुरू से अंत तक बांधे रखता है, कहानी का अंत कहानी के शुरू में बताने के बाद भी.
एक बात और यह है कि किताब बहुत से राजनीतिक और सामाजिक पहलुओं को भी छूती है, और ये किताब का एक बहुत महत्त्वपूर्ण भाग है. क्याप की राजनीति आपको ये नहीं बता पाती कि "व्हाट इज़ टू बी डन", लेकिन बहुत गहरे में जाके शायद ये जरूर बता पाती है, कि "व्हाट इज़ नॉट टू बी डन".
कुल मिलाकर बहुत ही सुन्दर और अद्भुत किताब। इसको पढ़ने के आनंद को शब्दों में कह पाना मुश्किल है. ऐसी स्टोरीटेलिंग मिलना मुश्किल है. -
This book can easily be read in one sitting. Good read, but not upto the level of Kasap, another book from Manohar Shyam Joshi.